व्यक्ति की पहचान है

अब कपड़ों से होती व्यक्ति की पहचान है दिल के कपड़े से व्यक्ति कितना अंजान है .. साधु भिखारी के कपड़े होते अलग-अलग कपड़ों से तो बढ जाती इंसान की शान है . जाड़े गर्मी के लिए होते हैं कपड़े अलग बेमौसम के कपड़े से तो होता नुकसान है . एक जमाने में नही जरुरत थी कपड़ों की अब तो किमती कपडे में ही बसी जान है . नारी नर को आसानी से छोड़ दी हैं पीछे लगता उनकी कपड़ों की अच्छी दुकान है . मँहगे कपडों को ढकने के लिए होते कपड़े आज साधु के कपड़ों में भी नही ईमान है . इंसान बढ रहा है पुराने जमाने की ओर जितने छोटे कपड़े हुए, उतना बड़ा नाम है . असली वस्त्र में छिपे हुए हैं नकली इंसान कैैैसे कह दें कपड़ों की होती कोई जुबान है . इंसान केवल पेट के लिए ही जीता नही है इंसान की चाहत रोटी कपड़ा व मकान है . कपड़े बनने लगे है सोने और चाँदी के भी आजकल कीमती कपड़ों से होता सम्मान है . पेशे के अनुसार ही होता है कपड़ा 'प्रकाश' हमारी सस्ते कपड़े में भी खिलती मुस्कान है

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