वो इश्क नही हो सकता

इश्क में अश्क नही आयें। भला ये कैसे हो सकता है।। इश्क में तड़प नही जबतक। वो इश्क नही हो सकता है।। जिसके बिन कोई रह न पाये। उससे इश्क कैसे हो सकता है।। जब होती तड़प बराबर की। तब सच्चा इश्क वही होता।। एक दिल से उसको याद करे। इक बैठा कोने में रोता।

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