नई दिल्ली : मीडिया में आई खबरों के अनुसार, बिजनेसमैन विजय माल्या ने जिस पासपोर्ट की मदद से भारत छोड़ा था, वो उन्हें संसद के सदस्य होने के नाते जारी किया गया था। इसी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के जरिए वो भारत से लंदन भागने में सफल हुए। आईडीबीआई बैंक के पूर्व सीएमडी योगेश अग्रवाल ने माल्या को अपनी कंपनी किंगफिशर को बदहाली से उबारने के लिए 900 करोड़ रुपए का लोन दिया था। उधर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने इस बात को मान लिया है कि माल्या को गिरफ्तार करने के प्रयासों में उन्हीं से चूक हुई थी, क्यों कि पहली बार लुकआउट नोटिस गलती से जारी हो गया था। हांलाकि नोटिस में बदलाव कब और कैसे किया गया, इस मामले में अभी जांच चल रही है। आईडीबीआई द्वारा जारी किए गए लोन को तीन किश्तों में दिए जाने की बात थी, जिसे नवंबर 2015 में अप्रूव किया गया था। किंगफिशर ने 950 करोड़ लोन के लिए अप्लाई किया था, लेकिन उसे 900 करोड़ ही सैंक्शन किए गए। अब योगेश अग्रवाल पर भी सवाल उठाए जा रहे है, क्योंकि जब कंपनी को लोन दिया गया तब कंपनी की हालत लोन लेने लायक नहीं थी, ऐसे में उन्हें लोन क्यों जारी किया गया।