फिल्म में उपभोग की वस्तु नहीं है अब अभिनेत्रियां : विद्या

विद्या बालन ने 2005 में फिल्म 'परिणीता' से सिनेगजगत में कदम रखा. उनकी हालही प्रदर्शित फिल्म 'हमारी अधूरी कहानी' को आलोचकों की खूब सरहाना मिली है.फिल्म जगत में अभिनेत्रियों को उपभोग की वस्तु दिखाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले और आज के समय में काफी परिवर्तन आया है. आज परिदृश्य पूरा बदल गया है. 

इस बार में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने यह बदलाव पिछले पांच-छह सालों में 'इश्किया' या 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी फिल्मों में काम करते समय देखा. मेरा मानना है कि अभिनेत्रियों की अब पर्दे पर उपभोग की वस्तु के रूप में आना पसंद नहीं करती है.वे महसूस करती हैं कि वे अब इस पर आपत्ति कर सकती हैं. यही कारण है कि अब महिलाओं को उपभोग की वस्तु के रूप में ज्यादा नहीं दिखाया जाता. वे प्रमुख किरदारों को अदा कर अपनी अभिनय क्षमता का परिचय देती है.   जब उनसे हमारी अधूरी कहानी के किरदार के बारे में बात की गयी तो उन्होंने कहा, "मैं अगर घरेलू हिंसा की बात करूं तो यही कहूंगी कि मैं इसे कभी नहीं समझ पाई. मैं आजादी और स्वछंदता के माहौल में रही हूं. मुझे यह समझ नहीं आता कि कोई, विशेषकर एक महिला मारपीट और गाली-गलौज चुपचाप क्यों सहन करती है. इसलिए इस भूमिका के लिए मुझे इन चीजों को स्वीकार करने के लिए पहले स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ा था. विद्या का मानना है की आर्थिक रूप से सक्षम हो तो उन्हें अत्याचारों से मुक्ति मिल सकती है.   विद्या ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा "मुझे महसूस हुआ कि मुझे बस घरेलू हिंसा ही नहीं, बल्कि इस पर भी यकीन करना होगा कि आप वास्तव में अपने पति की संपत्ति हैं और हम भारतीयों में की यही मानसिकता है. विद्या बालन का नाम उम्दा दर्जे की अभिनेत्रियों में शुमार है. वे अपनी अभिनय क्षमता का पा, कहानी, लगे रहो मुन्ना भाई जैसी फिल्मो से लोहा मनवा चुकी है.

Related News