विजय बुराई पर अच्छाई की

रावण लंका का तमिल राजा था। रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्मज्ञानी तथा बहुविद्याओं का जानकार था. उसे 'मायावी' इसलिए कहा जाता था कि वह इन्द्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था।

उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था. इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे। जैन शास्त्रों में रावण को प्रतिनारायण माना गया है.

रावण कृष्णपक्ष की अमावस्या को युद्ध के लिए चला था कहते है की जैसे हे रामचंद्र रावण का सर काट देते थे तो उसकी जगह तुरंत दूसरा सर आ जाता थ,एक एक दिन करके उसके सर कटते गए इस तरह शुकिपक्ष की दशमी को रामचंद्र  हाथो रावण का वध होता है .इसीन रामचंद्र जी ने बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी .इसी उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है.

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