आज इस आरती से करें वट पूर्णिमा व्रत का समापन

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) रखते हैं। आप तो जानते ही होंगे ज्येष्ठ माह की अमावस्या (30 मई 2022) को जो वट सावत्री व्रत रखा गया था, उस दिन उत्तर भारत में यूपी, एमपी, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर व्रत रखते हैं। हालाँकि गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा के दिन जो व्रत रखा जाता है, उसे वट पूर्णिमा व्रत के नाम से जानते हैं। जी हाँ और इस बार यह व्रत 14 जून 2022 को रखा जाने वाला है। आप सभी को बता दें कि इस व्रत को सुहागिन महिलाएं रखती हैं और इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ बरगद के पेड़ की भी पूजा की जाती है। हालाँकि ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा से पति की उम्र लंबी होती है और घर में सुख-शांति आती है। अब हम आपको बताते हैं वट पूर्णिमा व्रत के दिन गई जाने वाली आरती।

वट पूर्णिमा व्रत की आरती-

अश्वपती पुसता झाला।। नारद सागंताती तयाला।। अल्पायुषी सत्यवंत।। सावित्री ने कां प्रणीला।। आणखी वर वरी बाळे।। मनी निश्चय जो केला।। आरती वडराजा।।1।।  दयावंत यमदूजा। सत्यवंत ही सावित्री। भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा ।। ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी ।। त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी। आरती वडराजा।।2।। 

स्वर्गावारी जाऊनिया। अग्निखांब कचलीला।। धर्मराजा उचकला। हत्या घालिल जीवाला। येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।। आरती वडराजा।।3।।

जाऊनिया यमापाशी। मागतसे आपुला पती। चारी वर देऊनिया। दयावंता द्यावा पती। आरती वडराजा ।।4।।

पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।। तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।। आरती वडराजा ।।5।।

पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।। स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया। आणिलासी आपुला पती।। अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।। आरती वडराजा।।6।।

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