नमो आखिर क्यों है मौन :पार्टी पूर्व महसचिव गोविंदाचार्य

नई दिल्ली : ललित मोदी विवाद में सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे पर भारी गाज गिरी है. स्वराज और राजे के इस्तीफे की मांग का मुद्दा विपक्ष ने जोरो से उठा रखा है. ऐसे में लालकृष्ण आडवाणी ने दोनों को नसीहत दी थी कि आरोपों में घिरने के बाद उन्हें अपना त्याग पत्र दे देना चाहिए. उन्होंने अपने परिपेक्ष में बात करते हुए कहा था कि जब मुझ पर आरोप लगे थे तो मेने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी के मना करने के बाद भी इस्तीफ़ा दे दिया था. 

अब ऐसी ही हिदायत राजे और स्वराज को पार्टी के पूर्व महासचिव गोविंदाचार्य ने भी दी है. मोदी के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाहे चुप्पी साध रखी हो लेकिन पार्टी के पूर्व महासचिव गोविंदाचार्य ने कहा है कि इस मामले में घिरे मंत्रियों को नैतिकता के आधार पर शीघ्र अपना इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

खतरनाक होगा मंत्र‍ियों को बचाना 

एक टीवी शो के कार्यकर्म में गोविंदाचार्य ने कहा, 'ललित मोदी विवाद में जिन मंत्रियों और नेताओं के नाम  उजागर हुए है  उन्हें बचाना मोदी सरकार के लिए खतरनाक साबित होगा  सरकार कानूनी दांव-पेंच से चलाई जा सकती है, लेकिन समाज नैतिकता के मार्ग पर चलता है. मंत्रियों को कानूनी दांवपेंच की सहायता से सुरक्षित रखने और न्याय को नैतिकता से अलग करने के प्रयत्न्न किये जा रहे.

मोदी को लिया निशाने पर 

कभी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी पर निशाना साधने वाले पीएम मोदी अब इतना खामोश रवैया क्यों अपना रहे है. गोविंदाचार्य ने यह भी बोला कि अब नमो भी मौन साधना सीख रहे हैं. गोविंदाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री को वसुंधरा राजे और सुषमा स्वराज का त्यागपत्र  मांगने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, उन्हें स्वयं ही नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र दे देना चाहिए.

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