श्रद्धा से उठाए गोगाजी के छड़ी निशान

फर्रुखाबाद - इन दिनों वाल्मीकि समाज के आराध्य गोगा जी के छड़ी निशान का दौर पूरे देश में जारी है. भादव मास की नवमी को इनका विशेष पर्व मनाया जाता है. लेकिन इसके पूर्व छड़ी निशान निकाले जाते हैं.

बता दें कि जाहरवीर महाराज के पूजन की वाल्मीक समाज में सदियों से चली आ रही एक अनूठी परम्परा है, जिसके अनुसार उनके भक्त प्रतीक स्वरूप एक निशान को सजाते हैं. इस निशान को उठाकर ले जाने वाले घोड़ा कहे जाते हैं. निशान ले जाते समय उसे सावधानी पूर्वक बिल्कुल सीधा रखना पड़ता है. यदि कहीं निशान धोखे से भी जमीन की ओर गिर जाता है तो उन लोगों पर सामाजिक रूप से जुर्माना भरना पड़ता है.यह जुर्माना गोगा देव की पुजारी समिति तय करती है.जो भण्डारा या फिर अन्य तरीक़ा भी हो सकता है फर्रुखाबाद में .

शुक्रवार को नगर के श्यामागेट तिराहा पर पूजन.अर्चन के लिए लाये गये निशानों के साथ नगर तथा ग्रामीण क्षेत्र से महिलाओं, पुरुषों तथा बच्चों ने काफी संख्या में पहुंचकर पूजन किया और यहीं से धार्मिक यात्रा मुख्य सड़क मार्ग से होती हुई धार्मिक रस्म के अनुसार बड़ी देवी मन्दिर चिलौली के पास आयोजित मेले में पहुंची.

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