वैभव लक्ष्मी का व्रत पूर्ण करता है सभी मनोकामनाऐं

शुक्रवार शुक्र ग्रह का वार। वह ग्रह जो सृष्टि के सृजन और प्रेम के लिए आवश्यक होता है। शुक्रवार जो प्रेम की देवी वीनस के लिए जाना जाता है। मगर भारतीय धार्मिक मान्यता में यह दैवीय शक्ति का प्रतीक होता है। वह शक्ति जो शिव के साथ मिलकर उसे संपूर्ण बनाती है। वह शक्ति जो जागृति और आभा का स्वरूप होती है। उसकी इस दिन आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शुक्रवार को भगवान की आराधना का फल तो मिलता है मगर देवी के अर्चन और पूजन से भी लाभ होता है।

माता को शुक्रवार को श्री वैभव लक्ष्मी व्रत से पूजा जा सकता है और प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए प्रति शुक्रवार सुबह स्नान कर शुद्ध हो जाऐं। इसके बाद माता का स्मरण करें। यही नहीं माता श्री वैभव लक्ष्मी के लिए व्रत करें। व्रत एक समय भोजन कर भी किया जा सकता है। सुबह के समय पूजन के दौरान श्री वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तक या कथा का वाचन करें।

कथा का वाचन मन से या फिर वाचिक अनुसार भी किया जा सकता है। इस व्रत के दौरान 7 या फिर 16 शुक्रवार भी किए जा सकते हैं व्रत के प्रभाव से सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं और अभिष्ट की सिद्धि होती है। शाम के समय व्रत पूर्ण करने से पूर्व माता की आराधना करें। पूजन में एक कलश की स्थापना कर उसका पूजन करें। माता वैभव लक्ष्मी का स्मरण करें। व्रत की कथा पढ़ें यह कथा सुबह शाम भी पढ़ी जा सकती है। माता के व्रत के प्रभाव के चलते मानव के सभी कार्य पूर्ण होते हैं।

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