उत्तर प्रदेश सरकार करेगी शिक्षामित्रो का फैसला

इलाहबाद हाई कोर्ट ने शिक्षा मित्रो पर फैसला सुनाया था, इस फैसले में नियम में संशोधन को अवैध करार दिया था और कोर्ट ने सरकार द्वारा दिए गए शिक्षा मित्रो को दो साल की ट्रेनिंग को असंवैधानिक करार दिया था. इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की बेंच को इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्ष 2015 में दिए गए फैसले में कोई कमी नहीं मिली है. इस हिसाब से शिक्षा मित्रो का भाग्य सरकार के हाथ में होगा.

राज्य सरकार तय करेगी कि जो सहायक अध्यापक बन चुके है वह शिक्षा मित्र भी रह जाएंगे या नहीं. इस फैसले के बाद शिक्षा मित्रों की समस्या और बढ़ गई है. वह असमंजस की स्थिति में है कि बुधवार को किस स्कूल में जाना होगा. मामला यह है कि 2009 में राज्य में सत्ताधीश रही बसपा सरकार ने शिक्षा मित्रों के लिए दो साल कि ट्रेनिंग का प्रारूप तैयार किया था. जिसके बाद टेस्ट कराकर बीटीसी कैटेगरी से सहायक अध्यापक बनाया गया.

इस योजना को सपा सरकार ने आगे बढ़ा कर लगभग 1.40 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बना दिया. नई सरकार आने से यह एडजस्टमेंट निरस्त होने पर वह शिक्षा मित्र भी सहायक अध्यापक नहीं रह जाएंगे जो टीईटी क्वालीफाई कर चुके है. अब इन्हे आने वाली भर्तियों में आवेदन करना होगा. अब राज्य सरकार तय करेगी कि उन्हें उम्र सीमा और अनुभव के आधार पर छूट मिलेगी या नहीं.

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