गंगा नदी में प्रदूषण पर उत्तर प्रदेश सरकार की खिचाई

नई दिल्ली: सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल वाराणसी ने गंगा नदी में प्रदूषण पर, केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की और उनके द्वारा दिए गए नारे को कार्यों के विपरीत बताया. ग्रीन ट्रिब्यूनल पैनल मामले को देखने और शीघ्रता से इसके निपटारे के बारे में जवाब माँगा. और पर्यावरण एवं वन, जल संसाधन और उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य सम्बंधित मंत्रालयो की खिंचाई भी की.

एनजीटी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कड़े शब्दों में कहा, "वास्तव में यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. आप इस बारे में कुछ क्यों नहीं करते? आपके नारे, आपके कार्यों के बहुत विपरीत हैं."

अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की पीठ के समक्ष उल्लेख के बाद अवलोकन किया गया और पाया, मनुष्यों और पशुओं के शव गंगा नदी में फेंके जा रहा है और आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

15 जनवरी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने गंगा के तट पर स्थित प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की गंभीरता से पहचान करने और सूचिबध करने के निर्देश दिए है. प्रदूषण की "मात्रा और गुणवत्ता" के बारे में भी अवगत करने को कहा.

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