कहे अनकहे सच

"कहे अनकहे सच"

मानो तो सब सही और

                               न मानो तो कुछ नहीं 

मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का मशवरा तो खूब देते हो "खुश रहा करो" कभी कभी वजह भी दे दिया करो  अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है, उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना ..क्यों कि 'नकाब' हो या 'नसीब' सरकता जरूर है' गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी हर नई चीज अच्छी होती है लेकिन दोस्त पुराने ही अच्छे होते है ए मुसीबत जरा सोच के आना मेरे करीब कही मेरी माँ की दुवा तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है की, माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है अहसास इश्क ए हक़ीक़ी का सब से जुदा देखा, इन्सान ढ़ूँढें मँदिर मस्जिद मैंने हर रूह में ख़ुदा देखा ज़िंदगी भी विडियो गेम सी हो गयी है साला एक लैवल क्रॉस करो तो अगला लैवल और मुश्किल आ जाता हैं इतनी चाहत तो लाखो रु पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही दिल की बात कह जाते हैं और कई इन्सान गीता पर हाथ रख कर भी सच नहीं कह पाते है हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो , क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है 

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