नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ वक्त से धीमी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों साफ किया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमी जरूर है, लेकिन मंदी का डर नहीं है. जंहा बावजूद इसके कई ऐसे पहलू हैं, वहीं जिनसे मंदी की आहट साफ सुनी जा सकती है. जंहा ऐसे में आगामी बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. सरकार की कोशिशों से पहले जानिए आखिर कहां-कहां है सुधार की जरूरत और कौन से सेक्टर बदहाली में हैं. बेहतर नहीं हैं वैश्विक हालात: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अर्थव्यवस्था को लेकर भारत की चिंताओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है. अमेरिका और चीन के बीच टे्रड वार के बाद मचे बवाल के बीच दुनिया पिस रही है. उस पर नीतियों की अनिश्चितताओं ने इस संकट को और बढ़ा दिया है. ऐसा कहा जा रहा है कि दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में यह संकट ज्यादा देखा जा रहा है. वैश्विक जीडीपी विकास दर 3 फीसद है. यह पिछले साल की अपेक्षा 0.6 फीसद कम है. जबकि व्यापार वृद्धि दर 2018 के 3.8 के मुकाबले घटकर के 1.1 हो गई है. आर्थिक बदहाली: आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था थम सी गई है. सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर घटकर 4.5 फीसद रह गई. यह मार्च 2013 के बाद सबसे सुस्त चाल है. मार्च 2013 में विकास दर 4.3 थी. जंहा रुपये का गिरना जारी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट लगातार जारी है. वहीं जुलाई के आखिर में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 68.9 थी, लेकिन एक महीने में ही यह 72 के पास पहुंच गया. जंहा फिलहाल डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 71.43 है. NRC पर बोला बांग्लादेश, कहा- ये भारत का आंतरिक मसला, लोग जाते हैं बॉर्डर पार पहले करता था अपहरण, फिर कमरे में बंधक बनाकर सारी रात करता था दुष्कर्म किंग खान के चाहने वालो के लिए है खुशखबरी, इस निर्देशक के साथ करने वाले है काम