फॉक्सवैगन कंपनी सेटलमेंट के तहत चुकाएगी सलाना प्रॉफिट से दोगुनी रकम

वॉशिंगटन: जर्मनी की कार बनाने वाली कंपनी फॉक्सवैगन कंज्यूमर्स, क्लीन एनर्जी और जीरो इमिशन तकनीक पर रिसर्च के लिए सेटलमेंट के तौर पर करीबन एक लाख करोड़ रुपए चुकाएगी। यह अमेरिकी इतिहास में किया गया सबसे बड़ा ऑटो सेटलमेंट है। यह रकम भारत की कार कंपनी मारुति के सालाना लाभ का 22 गुना है।

यह रकम फॉक्सवैगन के भी सालाना प्रॉफिट का दोगुना है। बीते वर्ष फॉक्सवैगन का इमिशन स्कैंडल सामने आया था। कारों से तय सीमा से 40 गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड निकल रहा था। कंपनी के सीईओ ने इस बात को खुद स्वीकारा था कि हमने सबके साथ धोखा किया। इस मामले में भारत में भी जांच चल रही है।

वॉशिंगटन पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक, कंपनी को या तो सेटलमेंट की रकम देनी होगी या फिर 4,75,00 कारें वापस लेकर इनकी कीमत चुकानी होगी। 40 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने कंपनी को सेटलमेंट करने की सलाह दी। कंपनी को कंज्यूमर्स को 68 हजार करोड़ रुपए , जीरो इमिशन रिसर्च के लिए 13500 करोड़ रुपए और एनवायरन्मेंट प्रोटेक्शन एजेंसी ट्रस्ट फंड को 18400 करोड़ रुपए देने होंगे।

बता दें कि इससे पहले 2010 में ब्रिटिश पेट्रोलियम को रिग एक्सप्लोजन के बाद 20.8 बिलियन डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था। इतना ही नहीं, कंपनी ने फाइन के तौर पर भी 4 बिलियन डॉलर दिए थे। इसके बाद 2012 में भी टोयोटा को गैस पैडल में खामी के कारण एक बिलियन डॉलर का फाइन भरना पड़ा था।

बीते वर्ष सितंबर में फॉक्सवैगन ने खुद खुलासा किया कि उसने दुनियाभर में 1 करोड़ 10 लाख डीजल कारों की इमिशन टेस्टिंग में गड़बड़ी कराई थी। कार में ऐसा सॉफ्टवेयर डाला गया था, जिसके जरिए इमिशन टेस्ट के सही नतीजे सामने ही नहीं आते थे।

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