कल्याणकारी योजनाओं को वापस लेने के बाद ही लागू हो सकती है यूबीआई योजना

अहमदाबाद : गरीबी खत्‍म करने और लोगों को एक मूल आय प्रदान करने के आर्थिक समीक्षा में प्रस्तावित यूनीवर्सल बेसिक इनकम (सार्वभौमिक मूल आय या यूबीआई) की तारीफ़ तो बहुत हो रही है, लेकिन मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन का मानना है कि योजना को मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं को वापस लेने के बाद ही लाया जा सकता है.

गौरतलब है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (IIM-A) के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत में यूबीआई योजना गरीबों के उत्थान के बारे में है, सरकार समाज कल्याण कार्यक्रमों पर काफी पैसा खर्च करती है, लेकिन यह लक्षित लोगों तक नहीं पहुंच पाता. मनरेगा का उदाहरण देते हुए मुख्‍य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि विभिन्‍न सरकारी स्‍तरों पर लागू किए जाने के बाद भी इससे लक्षित लोगों तक इच्छित लाभ नहीं पहुंच रहे हैं.लेकिन इसे मौजूदा कार्यक्रमों के साथ नहीं लाया जा सकता. सरकार इसका बोझ नहीं उठा सकती और सरकार की वित्‍तीय हालत बुरी तरह खराब हो जाएगी.

सुब्रमण्यन ने कहा कि यूबीआई का लाभ यह है कि यह सरकार के लक्षित खर्च की समस्या को दूर करने में अवश्य मदद करेगी.लेकिन इसके साथ ही उन्‍होंने आगाह किया कि देश में किसी नए कार्यक्रम को लागू करना काफी आसान है लेकिन मौजूदा योजना को वापस लेना काफी कठिन है.यदि कोई योजना वापस ली जाती है तो लोग विरोध करने लगेंगे.

आर्थिक सर्वे में सुब्रमण्‍यम के यूबीआई प्रस्‍ताव के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार इसे देश में लागू करेगी.लेकिन सुब्रमण्यन ने गरीबों को उनके हाथ में (बैंक खाते में) रुपया देने को व्यर्थ बताते हुए कहा कि यूबीआई के तहत यह रुपया महिलाओं को दिया जाए तो यहां इसके व्‍यर्थ जाने के अवसर कम हो जाएंगे.

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