घण्टियों की आवाज से मिलती है मन को शांति

मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इनकी आवाज को आधार देते हैं, वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है, इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है.

घंटियां 4 प्रकार की होती हैं :- 1. गरूड़ घंटी, 2. द्वार घंटी, 3. हाथ घंटी और 4. घंटा

1. गरूड़ घंटी : गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है.  2. द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकी होती है, यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है. 3. हाथ घंटी : पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं. 4. घंटा : यह बहुत बड़ा होता है, कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा, इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है.घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि

मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है. मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है. मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं. सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है.

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