तूने दिल जो मेरा लुटा बंधन जुड़ा ये अनूठा दीवानगी ऐसी चढ़ी लागे तेरे बिन जग झूठा मैं प्रीत की दासी हुयी सब ख्वाहिशे प्यासी हुइ तुमसे लगन ऐसी लगी मायूस मेरी उदासी हुई अब झूम झूम के गाउ तुझे हर जगह में पाऊ सावरे ,ओ सावरे आ पास मेरे ओ सावरे एक उलझी उलझी डोर थी सुलझा दिया तेरे प्यार ने दिल की कोरी किताब को जब पढ़ लिया तेरे प्यार ने अरमा नए से पिघल; गए हम खुद ही खुद से निकल गए तेरे बाजुओ में सिमट गए तेरी आदतों में ढल गए जो तू मिला ,सब मिल गया सब ख्वाहिशे सच हो गयी तनहा कभी मांगी थी जो रब तक दुआये पहुच गयी तेरे साथ जीवन बिताऊ अब और कुछ न चाहू सावरे ,ओ सावरे आ पास मेरे ओ सावरे