तुम्हें रात भर सोंचकर देखा

तुम्हें रात भर सोंचकर देखा खुद को रात जगाकर देखा सर्द हवा की आहट पर हमने दिल का दरवाजा खोलकर देखा क्या सोंचती हो सोंचकर देखा क्या बोलती हो बोलकर देखा नींद चुभी जब पलकों पर तो  बन्द आँखों को खोलकर देखा सांस उठी जब महकी-महकी "प्राची" तब सिरहाने टटोलकर देखा।।

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