तुम पर खत्म हो जायेगी ज़िंदगानी

न कोई किस्सा, न कोई कहानी, न कोई लफ़्ज़ों में, न कभी मुँहज़ूबानी, न तो बड़प्पन मेरा, न तुम्हारी नादानी, न फ़लसफ़े इस जहाँ के, न कोई परियों की कहानी, न रास्ते चमक दमक भरे, न बीच में कोई दरिया तूफानी, न शोर दुनिया भर का, न मेरे आँखों की वीरानी, न अपनेपन से लबरेज़ ये दुनिया, न हर नज़र,हर जुबां बेगानी, .. तुम पर शुरू हुई थी एक रोज़, तुम पर खत्म हो जायेगी ज़िंदगानी,

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