लाखोँ की भीड़ मेँ क्या तुम मुझे पहचान लोगी बढ़ाऊं जो अपना हाथ क्या थाम लोगी जोड़ियाँ तो बनती है अक्सर आसमानों में सातोँ जन्म का साथ क्या निभा लोगी तुम मेरे लिए सारी उम्र बिता लोगी अगर चला जाऊँ कभी मैं बहुत दूर क्या उन कदमों के निशान पर अपने कदम बढ़ा लोगी मेरी जिँदगी मेँ "प्राची" बस तुम्हारी ही कमी है बनकर मेरे जीवन का हिस्सा क्या मेरी दुनिया सजा दोगी तुम।।