तुझको देखा स्वर्ग मिल गया

तुझको देखा स्वर्ग मिल गया कहना क्या और सुनना क्या ? इस दर्शन की उस दर्शन से  क्या समानता तुलना क्या ? उस देवी को देख न पाया यह देवी तो सन्मुख है । रोदन हर्ष,दुख या सुख अब ना कोई उन्मुख है । अग जग सबको भूल चुका हूँ और किसी को भूलना क्या ? आंसू खुशी के टपके टप टप लो उनका अभिषेक हो गया। तन मन ने जड़ता समेट ली ध्यान धारणा एक हो गया । पूजन अर्चन की वेला में  पाप पुण्य का झुलना क्या ? धर्म कर्म आराध्य साध्य सब नित्य कर्म से हुए तिरोहित । केवल एक प्रेम के खातिर हम अपने ही हुए पुरोहित । दीपन धुपन चंदन वंदन सब मन मे है ,भूलना क्या?

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