तू दूर रहकर भी मेरे साथ रहता है

एक सर्द अहसास मेरी रूह से गुजरा है तू दूर रहकर भी मेरे साथ रहता है मैं तुझे न भी सोचूं तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता है बस तू ख्वाब में आकर मुझे बेचैन न किया कर तेरे आगोश में यूँ तो कभी रहा नहीं मैं  फिर भी न जाने क्यों तुझसे कुछ कुछ जुड़ा सा रहता हूँ मैं  कुछ बातें रेंगती हैं मेरे जेहन ओ दिल में अक्सर पास होने से ही कुछ नही दूर रहने से भी इश्क मुकम्मल होता है

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