इस नई टेक्निक के जरिये अब 'हार्ट वॉल्व' का इलाज होगा बिना चीर-फाड़ के

मेडिकल क्षेत्र में एक लेटेस्ट टेक्निक आई है, जो दिल के वाल्व बदलने के काम आती है. इस नए टेक्निक में बिना चिर फाड् के वाल्व को बदला जा सकता है. डायबिटीज, किडनी के रोगी और ध्रूमपान करने वालो के हृदय का वॉल्व सिकुड़ जाता है और ब्लड फ्लो में रुकावट आती है.

हमारे दिल के वाल्व के तीन दरवाजों से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन होता है, कुछ लोगों में जन्म से ही वॉल्व के दो दरवाजे होते है जो 50 की उम्र के बाद सिकुड़ने लगते है इससे एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या हो जाती है. इस रोग में मरीज को चलते हुए सांस फूलना, सीने में दर्द और बेहोशी जैसे तीन प्रमुख लक्षण होने लगते है.

इस बीमारी के चलते समय पर वॉल्व न बदला जाए तो स्थिति जानलेवा हो जाती है. इसके लिए ओपन हार्ट सर्जरी होती है मगर अब मरीज टावी टेक्निक से इलाज करवा सकते है जो ओपन हार्ट सर्जरी के लिए रिस्क की श्रेणी में आते है. टावी में बिना चिर-फाड़ के पैर की नस के जरिये वॉल्व डाला जाता है, इसमें पांच दिन के बाद ही मरीज को छुट्टी मिल जाती है. एक सप्ताह बाद अपने रूटीन में फिर से लौटा जा सकता है.

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