मानसून की बेरूखी को लेकर नीतियां बना रही ट्रेडिंग कंपनियां

नई दिल्ली : जहां एक ओर दक्षिण भारत के केरल की ओर से दक्षिण - पश्चिम मानसून देश में दस्तक दे चुका है वहां दूसरी ओर देशवासी अभी भी गर्मी से परेशान हो रहे हैं। बीते दिनों अरब सागर में बने चक्रवात के कारण इस क्षेत्र में मानसून की गति प्रभावित हुई है ऐसे में फसलों को खरीदने वाली ट्रेडिंग कंपनियां और लोकल कंपनियां अपनी नीतियां बना रही हैं। मामले में किसानों से भेंट कर आगे के निर्णयों को तय किया जा रहा है।माना जा  रहा है कि फिलहाल मानसून की सक्रियता में अभी कुछ समय और लग सकता है। दूसरी ओर फिर से मानसून में देरी की संभावना जताई गई है।

ऐसे में किसानों द्वारा बुआई की तैयारी भी की जा रही है। यदि मानसून लेट होता है तो विभिन्न तरह की व्यापारिक फसलों के प्रभावित होने का अंदेशा बना रहता है।तो दूसरी ओर हरियाणा में धान, कपास और महाराष्ट्र में कपास और अन्य फसलों की बुआई के लिए किसान जमीन तैयार कर रहे हैं। हालांकि किसानों को आवश्यक सलाह दी जा रही है। यही नहीं वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों द्वारा आवश्यक निर्देश दिए जा रे हैं।यदि बारिश कम होती है तो कई राज्यों में यह लगातार दूसरा मौका होगा जब वर्षा कम हो रही होगी।

यदि मिट्टी उपजाउ है और इसकी पैदावार बेहद अच्छी है तो जरूर कुछ अच्छे परिणाम निकलकर सामने आऐंगे। दूसरी ओर भू- जल के संग्रहण पर भी जोर दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि एक बार मिट्टी को सही तरह से तैयार कर दिया गया है तो एक बार बारिश होने पर कपास की फसल करीब 100 दिनों तक अच्छी बनी रह सकती है। हालांकि हर बार मौसम की बेरूखी का सामना करने वाले और फसल बर्बादी का दुखड़ा रोने वाले किसान इस बार किसी अनुभवी किसान की ही सुनना पसंद कर रहे है, उन्हें अब सरकारी जागरूकता अभियानों से अधिक सरोकार नहीं रह गया है

 

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