राष्ट्रपति ने फिर पढ़ाया सहनशीलता और धार्मिक सहिष्णुता का पाठ

नई दिल्ली : शिवसेना के हंगामे और राशिद इंजीनियर पर स्याही फेंके जाने की घटनाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक बार फिर देश को सहनशीलता और धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने की बात कही. उन्होने कहा कि मानवता और बहुलवाद को किसी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए. हमें हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ करना चाहिए.

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने सवाल किया की कहीं हमारी सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की क्षमता खत्म तो नहीं हो रही है? इस दौरान महामहिम ने रामकृष्ण परमहंस की 'जौतो मौत, तौतो पौथ' की याद दिलाई. इसका मतलब होता है कि जितनी आस्थाएं उतने ही रास्ते.

उन्होने कहा कि भारतीय सभ्यता अपनी सहिष्णुता के दम पर 5000 साल तक अस्तित्व बनाए रख सकी है. इसने सदा असंतोष और मतभेद को स्वीकार किया है. बहुत सी भाषाएं, 1600 बोलियां और 7 धर्म भारत में एक साथ अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा एक संविधान है, जो इन सभी मतभेदों को स्थान देता है. उन्होने कहा कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागत वाली महामाया (अम्बे माँ) असुरों का नाश कर देंगी.

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