नोट और गैस से जुड़े लाभ के लिए अंतिम अवसर, मात्र 7 दिन शेष

नई दिल्ली : अगर आपके पास 2005 से पहले छपा कोई नोट है तो उसे बिना किसी देरी के नजदीकी बैंक शाखा में जमा करवाये. यदि आपने ऐसा नहीं किया तो आपका नोट अमान्य माना जा सकता है. आरबीआई ने इन नोटों का प्रयोग बंद करने की समय सीमा अब 30 जून तक कर दी है , जो सात दिन बाद समाप्त हो जायेगी. वहीं, गैस सब्सिडी लेने के लिए बैंक अकाउंट को गैस एजेंसी से लिंक कराने के लिए भी अंतिम अवसर 30 जून तक ही है. ऐसा नहीं करने पर आपको कभी एलपीजी सब्सिडी नहीं दी जावेगी.

तुरंत बदले 2005 से पुराने नोट आरबीआई की प्रिंसिपल चीफ जनरल मैनेजर (कम्युनिकेशन) अल्पना किलवाला ने जानकरी दी कि 2005 से पूर्व छपे कुछ हजार नोट ही अभी तक बाजार में है. आरबीआई ने लोगों को सूचित किया है कि ऐसे नोटों को 30 जून से पहले बैंक की शाखा में जा कर बदल दे. आरबीआई के अनुसार जनवरी 2014 में 2005 से पूर्व मुद्रित 164 करोड़ नोट छूट गए है. इन नोटों का अंकित मूल्य 21,750 करोड़ रुपए आंका गया है. इनमें 500 और 1000 के नोट भी समिल्लित हैं. अफसरों के अनुसार बहुत सारे नोट परिवर्तित किये जा चुके है और अब केवल कुछ हजार नोट ही बाजार में शेष बचे हैं, जिन्हें बदलने का काम किया जा रहा है.

ऐसे कर सकते है पुराने नोट की पहचान

जानकारी दे दे कि 2005 से पहले के नोटों के पीछे छापे जाने का वर्ष अंकित किया गया है. रिजर्व बैंक ने बताया कि 2005 से पहले के नोट को बाजार से हटाने के पीछे कुछ सुरक्षात्मक पहलु है. क्योंकि उनमें 2005 के बाद छपे नोटों की तुलना में सुरक्षा फीचर्स अपेक्षाकृत कम हैं.

कैसे बदल सकते हैं आप पुराने नोट

पुराने नोट लेकर उस बैंक में जाएं जहा आपने अपना अकाउंट खुलवाया था. यदि खाता नहीं है तो अपना पता और फोटो आईडी प्रूफ लेकर बैंक जाना पड़ेगा. 50 हजार रुपए से ज्यादा के नोट बदलने हैं तो आपको पैन कार्ड भी आवश्यकता होगी. आम जान 30 जून तक किसी बैंक की किसी भी शाखा में जाकर पुराने नोट बदलवा सकते है. आप चाहे तो इन्हे नकद के रूप में भी ले सकते है अन्यथा इसे आप अपने अकाउंट में भी जमा कर सकते है.

क्या वजह थी नोट बदलने के निर्णय के पीछे ?

आरबीआई ने जनवरी 2014 में निर्णय लिया था कि 2005 से पूर्व मुद्रित नोट को बाजार से हटा दिया जावेगा. इसके पीछे दो मुख्य कारण थे - काला धन रोकना और जाली नोटों को जब्त करना. हालांकि, पुराने नोट हटाने की डेडलाइन को दो बार बढ़ाया जा चूका है. केंद्रीय बैंक ने इन नोटों को बाजार से हटाने के लिए पहले 31 मार्च, 2014 तक की समय सीमा निर्धारित की थी. बाद में इसे बढ़ाकर पहले 01 जनवरी, 2015 और फिर 30 जून, 2015 कर दिया गया था.

आरबीआई को क्यों लगा कि काल धन और जाली नोट में इजाफा हो रहा है ?

23 दिसंबर, 2005 तक आरबीआई की ओर से जारी नोटों का मूल्य 4 लाख करोड़ रुपए बताया गया था. लेकिन दिसंबर 2013 में इसमें वृद्धि हो कर 12 लाख करोड़ रुपए हो गया. मतलब भारतीय मुद्रा में 8 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हो गयी थी. अपितु ये अतिरिक्त नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित नहीं किये गए थे. इसकी साफ़ तौर पर दो ही वजह थी. पहली वर्षों से छुपाकर रखा गया काला धन बाजार में आ गया या जाली नोटों की संख्या में इजाफा हो गया.

कब-कितने नकली नोट जब्त किये गए

- संसद में दी गई केंद्र की जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में जब्त किये गए नकली नोटों की संख्या 3,03,817 है. असली नोटों में इनकी कीमत 14.8 करोड़ रुपए है. 2011 में कुल 24.7 करोड़ रुपए (राशि) के नकली नोट जब्त किए गए थे.

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