तो फिज़ाओं को क्या कहूँ

देखी नहीं पहले कभी ये हँसी ये अदा हुस्न ए मदहोशियों ने दी दिल को है सदा हँसी तेरी मस्ती भरी है शरारत भरी अदा  नशीली तेरी आँखें ज़ुल्फों में है मस्त घटा घटाएँ तेरी हैं लाई किस किस की कज़ा कहूँ घटा इन्हें तो घटाओं को क्या कहूँ महके हैं तेरे कदमों से ये दुनिया ये चमन कहूँ फिज़ा तुझे तो फिज़ाओं को क्या कहूँ

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