देवगुरू का पूजन कर जीवन में लाऐं समृद्धि की बयार

गुरूवार का दिन गुरू का होता है। यह वार शिरडी के श्री सांई बाबा का भी होता है। साथ ही देवगुरू बृहस्पति को भी इस दिन पूजा जाता है। दरअसल देवगुरू बृहस्पति का पूजन इच्छीत फल की कामना से और शीघ्र विवाह के लिए भी किया जाता है। मगर इस व्रत को करने की कुछ विधियां हैं। इस दिन भोजन पीले चने की दाल का किया जाना जरूरी है।

यह व्रत करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद उपवास रखें। देवगुरू को नमन करें। इस दिन नमक का सेवन न करें। योग्य यह है कि पीले वस्त्र पहनें और भक्तिभाव से प्रेमपूर्वक गुरू महाराज की कथा सुनें। इस व्रत को करने से मन की इच्छाऐं पूरी होना जरूरी है। पूजन के दौरान विधिवत तरीके से कलश स्थापना की जाती है। कलश को अक्षत के उपर रखा जाता है।

दरअसल कलश भगवान की साक्षात् उपस्थित और मंगल आयोजन का प्रतीक है। देवगुरू के चित्र का पूजन कर भगवान को विधिवत धूप दीप देना चाहिए। बृहस्पति महाराज इस व्रत को करने के बाद प्रसन्न होते हैं। इस व्रत से पुत्र, धन - धान्य से संपन्नता और विद्या की प्राप्ति होती है।

पूजन को लेकर तन, मन, क्रम, वचन से शुद्ध होकर यह व्रत किया जाना जरूरी है। श्रद्धालुओं को धन, पुत्र, विद्या और मनोवांछित फल की प्राप्ति भी इस व्रत से होती है। शाम के समय पूजन के दौरान देव गुरू बृहस्पति की कथा सुनना चाहिए। कथा सुनने से भगवान प्रसन्न होते हैं क्योंकि उनकी महिमा का बखान होता है।  

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