जिन्दगी हम लौटकर आयेंगे तेरी दुनिया में, बस एक बार तू हमें मुकम्मल पुकार तो दे,, हिसाब चुक्ता करेंगे साथ में सूद भी देंगे, मेरे खाते में थोडी खुशियां उधार तो दे,, जिस्म से रूह की दहलीज तक सूख से गये हैं, मेरे दिल के आंगन को थोडी बहार तो दे,, हां तपता है बदन करवटों में रात कटती है, मेरे दुश्मनों को पहले तू इश्क का बुखार तो दे,, हमारी याद आये वो कभी हमसे बात भी करें, मेरे महबूब की आदत को कुछ सुधार तो दे,, जिन्दगी हम लौटकर आयेंगे तेरी दुनिया में, बस एक बार तू हमें मुकम्मल पुकार तो दे,,!