यही योग विदेश में घर के सपने को साकार करता है

 

हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका स्वयं का एक घर हो जिसमे वह अपने परिवार के साथ ख़ुशी से जीवन यापन करे,. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कई बार वह लोन लेकर या कर्ज लेकर इसे पूरा करता है, लेकिन बहुत से व्यक्ति ऐसे होते है, जिनका यह सपना अधूरा रह जाता है. क्या आप जानते है आपके इस सपने का संबंध आपकी कुंडली में विराजमान ग्रहों की दशा से होता है. तो क्या कहते आपकी कुंडली के ग्रह आइये जानते है?

कुंडली में ग्रहों की स्थिति - व्यक्ति की कुंडली का चतुर्थ भाव उसके जीवन में भूमि, घर व संपत्ति को दर्शाता है. व्यक्ति की कुंडली का चतुर्थ भाव जितना अधिक बलवान होता है व इसके साथ ही चतुर्थ भाव का स्वामी भी इस भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति के घर बनाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है. 

मकान बनाने के योग - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह व्यक्ति के लिए भूमि, भवन व संपत्ति का कारक होता है. वहीँ शनि सभी प्रकार के निर्माण का कारक होता है. यदि व्यक्ति की कुंडली के चतुर्थ भाव में इन दोनों ग्रहों की दशा या अन्तर्दशा चलती है ,तो यह व्यक्ति के मकान बनने का योग होता है.

विदेश में मकान के योग - जिस व्यक्ति की कुंडली के चतुर्थ भाव का संबंध द्वादश या द्वादशेश भाव से होता है, तो ऐसे व्यक्ति की कुंडली में अपने जन्म स्थान से दूर किसी दूसरे शहर या विदेश में मकान बनाने के योग होते है. इसके लिए यह भी आवश्यक है कि कुंडली में मंगल, शनि, चतुर्थ, द्वादशेश तथा ब्रहस्पति का संबंध किस प्रकार का बनता है. यदि यह शुभ होते है तो विदेश में घर बनाने का सपना हकीकत का रूप धारण कर लेता है.

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