शास्त्रानुसार इस ग्रह के कारण होता है शादी में विलम्ब

शादी कब है ? हमारे समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है. हमारे समाज में बच्चें के जन्म के साथ ही माता पिता उसकी शादी के सपने संजोने लगते हैं. किसी के जन्म के साथ ही यह चर्चा भी शुरू हो जाती है कि कुंडली में शादी का योग कब का है और भविष्य क्या है लेकिन अगर ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है तो अपने आप इस चिंता का निवारण हो जाता है. 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में सप्तम भाव और सप्तमेश के साथ विवाह के कारक बृहस्पति और शुक्र की स्थिति को देखा जाता है. यदि सप्तम भाव और सप्तमेश अशुभ ग्रहों के कारण  कमजोर या पीड़ित हो तो  विवाह में विलम्ब होता है. 

यदि किसी जातक की प्रश्न कुण्डली में गुरु भाव से चौथे घर में क्रमश: चन्द्रमा और शुक्र की स्थिति नहीं हो तो ऐसे में व्यक्ति की शादी में अभी विलम्ब की संभावना होती है साथ ही यदि लग्न से अथवा चन्द्र राशि से पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें घर में शनि बैठा हो तब भी यह स्थिति बनती है. जातक की प्रश्न कुण्डली में छठे, आठवें अथवा द्वादश भाव में अशुभ ग्रहो का उपस्थित होना भी संकेत होता है  जीवनसाथी को पाने में होने वाले इंतजार का. ज्योतिष की एक शाखा में मंगल को भी स्त्री/पुरुष की कुण्डली में विवाह में विलम्ब का कारक ग्रह के माना जाता है.

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