ये व्रत करने से होते है मनुष्यों के पाप दूर

जब हम कोई व्रत करते है तो मन में कोई न कोई मनोकामना रहती है यदि हम सच्चे है और सच्चे मन से अगर एकादशी का उपवास रखेंगे तो मनोकामना जरुर पूरी होती है लेकिन ये उपवास करने से पहले ये ध्यान रखे की इस उपवास में निंदा, झूठ, छल किसी के साथ नहीं करना चाहिए और जो ये व्रत नहीं करता है उसे भी झूठ छल नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है की जो भी ये व्रत करता है उसके पाप कम हो जाते है. यह व्रत भगवान विष्णु के वामन अवतार के लिए रखा जाता है. इस व्रत को अचला एकादशी भी कहते है.   यह व्रत करते समय उसे विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए, इस अचला एकादशी के दिन जो भी यह व्रत करता है उसे अपार खुशिया सुख, समृद्धि प्राप्त होती है उसे धन संपत्ति की कमी महसूस नहीं होती है, अचला एकादशी में पूरे दिन निर्जल रहना पड़ता है.   प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा था, उस राजा का एक छोटा भाई भी था उसका नाम वज्रध्वज था वह बहुत क्रूर अधर्मी व्यक्ति था वह अपने बड़े भाई से ईर्ष्या द्वेष रखता था और अपने बड़े भाई का राज पाठ हासिल करना चाहता था इसलिए एक दिन उसने अपने बड़े भाई की ह्त्या करके उसका शव एक पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया और उसका राज पाठ हासिल कर लिया.

कुछ दिनों बाद उस पीपल के पेड़ पर महीध्वज राजा की आत्मा भटकने लगी. फिर एक दिन की बात है, धौम्य ऋषि इधर से गुजर रहे थे तो उन्होंने उस आत्मा को देखा। और अपने दिव्य्द्रष्टि से उसके अतीत को जान लिया। ऋषि ने उस आत्मा को परलोक विद्या का उपदेश दिया और खुद ने अपरा एकादशी का व्रत रख कर अपना पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा को मुक्ति मिल गई। और वह ऋषि को धन्यवाद देता हुआ स्वर्ग चला गया।

 

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