भारत में डेटा लीक को लेकर कानून नहीं है- जस्टिस बीएन कृष्णा

फेस बुक डाटा लीक के खुलासे के बाद इसे लेकर चर्चा आम हो रही और मगर इसे रोकने और इसके लिए कानून के बारे में फ़िलहाल किसी को ज्यादा पता नहीं है. इन सब के बीच जस्टिस बीएन कृष्णा का कहना है कि भारत में डेटा लीक से संबंधित कोई लीगल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. जस्टिस कृष्णा का ये बयान तब आया है जब फेसबुक डेटा लीक मामले को लेकर भारत सहित कई देशों में हंगामा मचा हुआ है जिसके अनुसार ब्रिटिश कंसल्टेंसी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका पर 5 करोड़ से अधिक फेसबुक यूजर्स के डेटा को चोरी करने और चुनाव को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को उस डेटा को बेचने का आरोप है. जस्टिस श्रीकृष्णा जो कि डेटा प्रोटेक्शन लॉ कमिटी की अगुवाई कर रहे हैं ने कहा कि भारत में बड़े डेटा, डेटा चोरी या एनालिटिक्स के मुद्दों से निपटने के लिए कोई कानूनी बुनियादी ढांचा नहीं है और इसलिए भारतीयों को इस मामले में पूरी तरह से न्याय नहीं मिल सकता.

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए क्रिप्टोकरेंसी को देखिए. इससे संबंधित कानून नहीं है इसलिए इस मामले में अरुण जेटली कुछ कहते हैं, आरबीआई गवर्नर कुछ कहते हैं. चूंकि इससे संबंधित कोई कानून नहीं है इसलिए उन्हें पता ही नहीं है कि वो क्या कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई भूतपूर्व जजों से परामर्श करके कमिटी डाटा प्रोटेक्शन बिल को बनाने के अंतिम चरण में है और अब इसे सरकार के पास भेज दिया जायेगा. न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा ने रवि शंकर प्रसाद के बयान को लेकर कहा कि इस तरह का बयान जनता को लुभाने के लिए ही अच्छा है, क्योंकि यहां तक ​​की अगर सरकार भी आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करती है, तो भी यह एक लंबी, जटिल और मुश्किल प्रक्रिया होगी.

इस मामले में सरकार क्रिमिनल प्रोसीजर कोड का सहारा लेती है और चोरी का मुकदमा दर्ज करती है. लेकिन ये काफी जटिल है. सूचना तकनीक से जुड़े नियम सीआरपीसी में फिट नहीं बैठते. इसलिए यह एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है. वे कंपनी ऐक्ट के आधार पर भी इन कंपनियों को ज़िम्मेदार ठहरा सकते हैं लेकिन फिर ये सारी फर्म विदेशी हैं और इसके लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति विदेशों में हैं. इसलिए मुकदमा चलाया जा सकता है लेकिन फिर यह दोष सिद्ध करना काफी मुश्किल होगा. "अगर आईटी कानून इतना ही अच्छा था तो डेटा प्रोटेक्शन लॉ की क्या ज़रूरत थी? आईटी कानून सूचना प्रौद्योगिकी में शामिल मुद्दों से संबंधित है. लेकिन डेटा चोरी के बारे में क्या है? यह किसी सामान की चोरी नहीं है, इसलिए यह कानून अस्पष्ट है और इसलिए हमें उचित आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा का मानना ​​है कि फेसबुक या इस तरह के किसी फर्म पर प्रतिबंध लगाया जाना है इस समस्या का हल नहीं है बल्कि यह हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1855 की ओर धकेल देंगी.

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