इस शिवालय में खड़े हो जाते हैं लोगों के रोंगटे

भारत आस्थाओं का देश है. जहाँ हर दूसरे गली-मोहल्ले में आपको मंदिर देखने मिल ही जाएगा. जिससे स्थानीय लोगों की आस्था जुडी रहती है. जहाँ एक तरह लोग मंदिर को भगवन आवास मानते हैं. जहाँ एक तरफ भूत-प्रेत तक नहीं भटकते तो वहीँ दूसरी तरफ भारत में एक ऐसा मंदिर है. जहां लोग मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करने से डरते हैं. इस मंदिर के प्रति यहाँ के लोगों ऐसा क्यों रवैया है ? इसके पीछे एक कथा मानी जाती है. 

दरअसल उत्तराखण्ड में पिथौरागढ़ के कस्बे से लगभग 6 किलोमीटर दूर है जो कि ग्राम सभा बल्तिर में स्थित है. जहां एक सुनसान पहाड़ी इलाके में खूबसूरत वादियों के बीच एक शिवलिंग बना हुआ है. इस शिवलिंग के बारे में स्थानीय लोगों की कई मान्यताएं हैं. जिन कारण लोग मंदिर में शिवलिगं पर दही, दूध से चढ़कर अभिषेक करने डरते हैं. लोगों का कहना है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है जो की करीब बारहवीं शताब्दी में एक कारीगर ने अकेले अपने हाथों से बनवाया गया था. इस वजह से हथिया देवाल के नाम से जाना जाता है.

इस देवालय के बारे में एक प्राचीन किंवदंती भी है जो यहाँ के श्रद्धालुओं को अक्सर सुनाते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस ग्राम में एक मूर्तिकार रहता था, जो पत्थरों को काट-काट कर मूर्तियां बनाया करता था. एक दिन किसी दुर्घटना में उसका एक हाथ ख़राब हो गया है. जिसके बाद से गांववालों ने उलाहना सुनना शुरू कर दिया. इसी बात से मायूस होकर एक रात वो दक्षिण दिशा में शिवलिंग का निर्माण करने निकल गया. रातभर में उस मूर्तिकार एक बड़ी चट्टान पर अपनी छैनी हथोडा चलाकर एक शिवलिंग का निर्माण किया.

सुबह जब गांव वालों ने देखा तो सब हैरान रह गए कि एक रात में किसने यह शिवलिंग बना दिया. इसी के साथ मूर्तिकार भी गांव से गायब था. एक दिन जब किसी महान पंडित ने इस मंदिर में शिवलिंग को अच्छे से देखा तो पता चला कि गलत बना हुआ है. इसमे अरघा उत्तर दिशा में न होकर दक्षिण दिशा में है. तब से ही इसे खंडित माना जाने लगा और लोगों ने इस मंदिर में पूजा-पतरी करना बंद कर दी. 

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