वो भयंकर लैब, जहां जीवित इंसानों के अंदर डाले गए थे जानलेवा वायरस

COVID-19 वायरस को लेकर चीन का एक लैब कंस्पिरेसी थ्योरी के चलते चर्चाओं में है। वुहान जिले में स्थित इस लैब को लेकर कई देशों को इस बात का संदेह है कि यहां COVID-19 वायरस पर कार्य चल रहा था, जो लापरवाही से अथवा जान बूझकर लीक हो गया। हालांकि, अभी तक इसके कोई सुराक प्राप्त नहीं हुए हैं। परन्तु आज हम आपको एक ऐसे भयंकर लैब के बारे में बताएंगे, जिसके सामने चीन के ये लैब कुछ भी नहीं हैं।

दरअसल, शाही जापानी फाॅर्स के जवानों ने वर्ष 1930 से 1945 के समय चीन के पिंगफांग शहर में ये प्रयोगशाला बना रखी थी। इस लैब का नाम 'यूनिट 731' था। वैसे चीन का इससे कोई ताल्लुक तो नहीं था, किन्तु लैब में किए जाने वाले परीक्षण चीन के व्यक्तियों पर ही होते थे। जापान सरकार के पुरालेख डिपार्टमेंट के पास रखे दस्तावेज में भी यूनिट 731 का जिक्र किया गया है। हालांकि, कई दस्तावेजों को जला दिया गया है।

वही यूनिट 731 लैब में ऐसे कई भयंकर परिक्षण किए गए, जो स्ट्रांग से स्ट्रांग व्यक्ति को भी डरा सकते हैं। इस लैब में जीवित इंसानों को यातना देने के लिए एक विशेष परीक्षण था फ्रॉस्टबाइट टेस्टिंग। योशिमुरा हिसातो नाम के एक साइंटिस्ट को इस परिक्षण में बहुत मजा आता था। वो ये देखने के लिए परीक्षण करते थे कि जमे हुए तापमान की बॉडी पर क्या प्रभाव होता है। इसे जांचने के लिए किसी शख्स के हाथ-पैर ठंडे पानी में डुबो दिए जाते थे। जब शख्स की बॉडी पूर्ण रूप से सिकुड़ जाता, तब उसके हाथ-पैर तेज गर्म पानी में डाल दिए जाते थे। वही इस प्रकार की कई प्रक्रिया इस लैब में की जाती है।

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