गांधियन थ्योरी से इंडिया राइजि़ंग की नई बयार

अपनी तीन देशों की यात्रा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले दिन भारतीय लोकतंत्र का डंका बजाया, चीनी नेताओं और राजनयिकों के साथ वहां के नागरिक भी भारत की संस्कृति, सभ्यता और यहां के नेताओं को मानने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रभावी बाॅडी लैंग्वेज के साथ उनकी औजस्वी शैली और विचारों ने चीन को बेहद प्रभावित किया है। मगर अपने तीसरे दिवस की शंघाई यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई के फुदान विश्वविद्यालय में सेंटर फाॅर गांधियन एंड इंडियन स्टडीज़ की स्थापना की घोषणा की। इसी के साथ उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रासंगिकता का बखान भी किया।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात में भी दम नज़र आता है। जी हां, वर्षों पूर्व 1909 में ही कुछ सिद्धांतों का दर्शन दिया था। महात्मा गांधी ने इंग्लैंड से दक्षिण अफ्रीका लौटते समय जहाज में हिंद स्वराज का लेखन किया था। गांधी जी के हिंद स्वराज में ही उस बात की झलक नज़र आती है जिसकी आज विश्व को सख्त जरूरत है। महात्मा गांधी ने इसमें उल्लेख किया था कि हिंसा का मार्ग भारत के लिए प्रगति का मार्ग नहीं है। भारत को अपनी आत्मरक्षा के लिए इससे भी अलग मार्ग की आवश्यकता है। वस्तुतः देखा जाए तो महात्मा गांधी की यह बात सही प्रतीत होती है।

भारत लगातार अच्छी विकास दर हासिल करता जा रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत ने अहम व्यापारिक करार किए हैं। समूचे विश्व के लिए भारत काफी सुरक्षित बाजार है। हालांकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अभी भी मुंह बाऐं खड़ा है लेकिन इस समस्या के पूर्णतः समाधान के तौर पर यदि युद्ध पर विचार किया जाए तो यह आसान नहीं होगा। 9/11 के बाद अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में चलाए गए सैन्य अभियान का उदाहरण हमारे सामने है। अमेरिका को इस तरह के आॅपरेशन से अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा और उसके सैनिक भी लंबे युद्ध से थक चुके थे।

यही नहीं महात्मा गांधी ने हिंद स्वराज में उल्लेख किया था कि मशीनी सभ्यता ने जिस तरह पृथ्वी को नष्ट किया है उसका परिणाम हमारे सामने है। आर्थिक साम्राज्यवाद ने विश्व में गैर बराबरी को और बढ़ाया है। उन्होंने मानसिक उपनिवेशीकरण को भी मानव के लिए खतरा बताया था। जिस तरह से हर ओर भौतिकवाद का जाल बिछाया जा रहा है उससे मानव की जरूरतें बढ़ रही हैं और बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग पैसे को अधिक महत्व देने लगे हैं ऐसे में लोगों के सामाजिक जीवन और नौकरी - पेशा जिंदगी पर विपरीत असर पड़ रहा है।

महात्मा गांधी भारत के ग्रामीण जीवन को महत्व देते थे। जिस तरह से उन्होंने चरखे और सूत को महत्व दिया वह बेहद प्रेरणादीयी है। विश्लेषकों द्वारा यह बात कही जाती रही है कि खादी मानव की त्वचा के लिए स्वास्थ्यकर होती है। गांधी के इन सिद्धांतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात सच साबित हो रही है कि समूचे विश्व की समस्याओं का समाधान गांधी दर्शन में है। गांधी, गौतम बुद्ध और विवेकानंद का यह देश आधुनीकीकरण की विवेकशील रफ्तार पकड़कर निश्चितरूप से विश्व को एक संदेश देगा इस बात में कोई संदेह नहीं है।

Related News