रेत से आधुनिक नेटवर्क तक पहुंचा आतंक का कारोबार

बीते कई वर्षों की तुलना में वर्तमान में दुनिया पर आतंकवाद का खतरा अधिक मंडराने लगा है। दुनिया के सामने इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक, अल कायदा, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर - ए - तैयबा जैसे कई आतंकी संगठन चुनौती बनकर उभरे। इन आतंकी संगठनों द्वारा पहले जहां पहाडि़यों में छुपकर जीवन गुजारा जाता था। अफगानिस्तान के रेगिस्तान में बिना किसी आधुनिकीकरण के अपनी योजनाओं को अंजाम दिया था वहीं अब ये आतंकी संगठन ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया संसाधनों को अपना हथियार बनाने में लगे हैं।

अब तो लश्कर के कमांडर हाफिज सईद ने भी अपने आतंक के साम्राज्य को सोशल मीडिया पर फैलाने का प्रयास किया है। ये आतंकी अब तो आधुनिकीकरण का सहारा लेने में लगे हैं। कहीं भी अपनी जानकारी का प्रसार करना हो या फिर दहशत की अफवाह फैलानी हो ये इंटरनेट के अनुप्रयोग का सहारा लेते हैं। आतंकियों द्वारा युवाओं को सबसे ज़्यादा दिग्भ्रमित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। कुछ मस्जि़दों में आने वाले युवाओं को बरगला कर आतंक के लिए प्रेरित किया जाता है।

इसके बाद उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी सामग्री परोसी जाती है। जिस तरह से देश में सिमी का साहित्य उपलब्ध करवाया जाता था। ठीक उसी तरह से इन युवाओं को इस्लाम के गलत मायने बताए जाते हैं। यह बताया जाता है कि उनके साथ जुल्म हो रहे हैं और इनकी भावनाओं को कुछ असरदार वीडियोज़ से दूसरी ओर मोड़ दिया जाता है। ऐसे में ये युवा आधुनिक तकनीक से बरगला दिए जाते हैं। इन्हें आतंकी प्रशिक्षण देने के लिए भी आधुनिक और तकनीकी तरीका अपनाया जाता है।

इसके बाद इन्हें आधुनिक और अत्याधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है। इन आतंकियों के पास मोर्टार जैसे हथियार तो हैं ही। छोटे स्तर के लांचर्स भी इन आतंकियों ने हासिल कर लिए हैं। ये आतंकी अब ऐसे वायरस पर काम कर रहे हैं जो धीरे - धीरे इंसान के अंग को समाप्त कर देता है। अर्थात् कुछ क्षेत्रों में आतंकियों ने ऐसे वायरस का प्रयोग किया है । 

जो इंसान के अंगों को ही भोजन के तौर पर लेता चला जाता है। आतंकियों को रोकने की दिशा में लगे विशेषज्ञ इस बात से चिंतिंत हैं कि आतंकियों द्वारा परमाणु तकनीक हासिल न कर ली जाए। माना जा रहा है कि आतंकी परमाणु तकनीक हासिल करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं यदि ऐसा होता है तो यह मानव जाति के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं होगा।

'लव गडकरी'

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