आतंकवाद के विरूद्ध नरमी है सबसे बड़ा खतरा

माॅस्को में चीन, भारत और रूस के विदेशमंत्रियों की संयुक्त वार्ता चल रही है। यह वार्ता आतंकवाद के प्रभाव पर केंद्रित रही। भारत आतंकवाद का वर्षों से सामना कर रहा है। अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी दुनिया आतंकवाद के खतरे को मान रही है लेकिन इसके बाद भी आतंकवाद को लेकर किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। जिसके कारण आतंकी कई देशों में मौत का खेल खेल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत की मांग को दरकिनार करते हुए चीन का वीटो पाॅवर उपयोग करना और आतंकी मसूद अजहर को प्रतिबंधित आतंकी न मानना एक गंभीर मसला है।

यदि भारत की बात पर गौर नहीं किया गया तो विश्वसमुदाय को फिर से पेरिस हमले जैसे भयावह परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। जिस तरह से पठानकोट में हुए हमले को लेकर पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल ने पाकिस्तान की धरती से आतंक पनपने की बात से इन्कार कर दिया है उससे भारत में पाकिस्तान प्रेरित आतंक के फैलने का अंदेशा है।

सभी जानते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद का पौषक रहा है। मगर उसके विरूद्ध किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। विश्व समुदाय के लिए आईएसआईएस गंभीर खतरे लेकर आ रहा है मगर इसके बाद भी इस्लामिक आतंक से लड़ने की क्षमता को केवल और केवल सैन्य तौर पर ही सीमित रखा जा रहा है। यदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक तौर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं तो विश्व को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 

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