तेरी याद ने तपश सी घोल दी है हवाओं में, कि सुलगने लगा है जिस्म मेरा अब तो छांव में, लौट आने का वादा करके हमें इंतज़ार सौंप दिया, ताकते रहते हैं बैठकर हम अब तो तुम्हारी राहों में