तेरा भी खयाल आ सकता हैं

आने को कोई लम्हाँ,खुशहाल आ सकता है। लेकिन फिर से तेरा भी, खयाल आ सकता हैं। फिर हवाओ ने अपना रुख, बदला हैं शायद। सुखी डालियौ पर ,जमाँल आ सकता हैं। बहुत गेहरे हो गये है, गम के अन्धेरे अबतो। ऐक जुगनू भी करने,कमाल आ सकता हैं हदे पार हो रही हैं, फिर हैवानियत कि फिर खुने-वतन में ,उबाल आ सकता हैं।

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