तेरा ख्याल दिल को सुकून दे रहा है

तेरा ख्याल दिल को सुकून दे रहा है तू चाहे न चाहे मगर ये हो रहा है मोहब्बत पे जोर चला कब किसी का दुनिया में सदियों से ये हो रहा है मेरे दिल की सूनी ये तपती दोपहरी तकती थी छाया एक ठंडी घनेरी तुम उसमे महकी पवन बनके आईं उमंगें-तरंगें फिर कसमसाई घिर आये बादल बरसने लगा पानी फिर से मचलने लगी जिंदगानी सूखे दरख्तों ने घेरा था जिसको आलम वो सारा जवान हो रहा है तेरा ख्याल दिल को.... ... जीवन में करता जो तन-मन समर्पण छवि उसकी गढ़ता है दिल का दर्पण आँखें भी उसकी सदा राह तकतीं नाम ले लेकर जुबान भी न थकती कोई तुमको समझे जब तन का गहना ऐसी मोहब्बत का यारों  फिर क्या कहना लम्हों के ऐसे सपने संजोये "प्राची" जीवन ये सारा फ़ना हो रहा है तेरा ख्याल दिल को सुकून दे रहा है तू चाहे न चाहे मगर ये हो रहा है।।

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