मुस्लिम समुदाय को नहीं स्वीकार योग तथा गीता स्कूल में पढ़ाया जाए

लखनऊ : भारत विविधताओं का देश है यहाँ हर क्षेत्र में भिन्नता है चाहे वह भाषा को लेकर हो या धर्म को. इसी की वजह से वाद-विवाद की स्थिति बनी रहती है. अभी कुछ दिनों से विद्यालयों में गीता को शामिल करने पर भी विवाद चल रहा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सरकारी स्कूलों में योग तथा गीता पढाया जाना स्वीकार नही है और बोर्ड इसके ने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के द्वार खटखटाने की ठान ली है.

गीता पढाया जाना संविधान के अनुच्छेद 28 के खिलाफ है.

बोर्ड का की मान्यता है कि सरकारी या सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों में योग,सूर्य नमस्कार या गीता का पाठ पढाया जाना संविधान के अनुच्छेद 28 का खुले रूप में उल्लंघन है इसलिए बोर्ड ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करने का निश्चय किया है.

गीता,योग और सूर्य नमस्कार सनातन धर्म का अंग है.

बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी कि राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के स्कूलों में गीता और योग की शिक्षा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि बोर्ड का मानना है कि गीता,योग और सूर्य नमस्कार एक तरह से सनातन धर्म का ही हिस्सा है.

सुप्रीम कोर्ट में करेंगे अपील

उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. ऐसे में भारत में धर्म विशेष से जुडी चीजों की शिक्षा देना संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन करना है. इसे आधार मानते हुए बोर्ड ने निर्णय लिया है कि उच्चतम न्यायालय में इसके विरोध में याचिका दायर की जायेगी.

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