तनहा ना कर दे ग़ालिब

"मसरूफ़" रहने का अंदाज़ , तुम्हें तनहा ना कर दे 'ग़ालिब'; "रिश्ते" फ़ुर्सत के नहीं , 'तवज्जो' के मोहताज होते है...

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