न कर आरजू किसी को पाने की बड़ी जालिम है निगाहे इस ज़माने की बना खुद को इस काबिल ज़माने के लोग रखे तम्मना सिर्फ तुझे पाने की बेदाग दर्द ये मिट क्यों नहीं जाता जो बीत गया वो गुजर क्यों नहीं जाता एक हम ही तो नहीं है दुनिया में खास जो नहीं है वो दिल से उत्तर क्यों नहीं जाता