हिन्दुओं के पूरे गाँव पर 'वक़्फ़ बोर्ड' का कब्जा.., 1500 साल पुराना मंदिर भी वक़्फ़ का हो गया !

चेन्नई: क्या हो अगर आपको पता चले कि, कुछ वर्षों पहले आपने अपनी खून-पसीने की कमाई से जो जमीन खरीदी थी, वो अचानक, आपकी संपत्ति से वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति हो चुकी है ? तमिल नाडु के एक पूरे गाँव के साथ ऐसा ही हुआ है, वर्षों से उस गाँव में रहते आ रहे ग्रामीणों को अचानक पता चला है कि, जहाँ वे रहे हैं वो जमीन अब उनकी नहीं है, बल्कि वक़्फ़ बोर्ड की हो चुकी है। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड द्वारा एक संपत्ति पर कब्जा करने का हैरान करने वाला मामला प्रकाश में आया है। वहाँ, हिंदू बहुल आबादी वाले एक पूरे गाँव को तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने वक्फ की संपत्ति घोषित कर डाला है। बोर्ड ने तमिलनाडु में त्रिची के पास स्थित तिरुचेंथुरई गाँव को वक्फ की संपत्ति बताया है। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ, जब राजगोपाल नाम के एक व्यक्ति ने अपनी 1 एकड़ जमीन राजराजेश्वरी नामक व्यक्ति को बेचने की कोशिश की। राजगोपाल जब अपनी जमीन बेचने हेतु रजिस्ट्रार कार्यालय पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि वे जिस जमीन को बेचने आए हैं, वह उनकी है ही नहीं बल्कि, अब वो जमीन वक्फ की हो चुकी है और अब उसका मालिक वक्फ बोर्ड है।

राजगोपाल का कहना है कि उनसे यहाँ के रजिस्ट्रार मुरली ने कहा कि, 'जिस भूमि को आप बेचने आए हैं उस जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के निर्देश के मुताबिक, इस जमीन को बेचा नहीं जा सकता। आपको चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेना  होगा।'  इस पर राजगोपाल ने पूछा 'वर्ष 1992 में खरीदी गई अपनी भूमि को बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने की जरूरत क्यों है?' राजगोपाल के इस सवाल पर, रजिस्ट्रार मुरली ने उन्हें तमिलनाडु वक्फ बोर्ड से राजगोपाल को 250 पन्नों का एक पत्र दिखाते हुए कहा कि, 'तिरुचेंथुरई गाँव में किसी भी जमीन को बेचने के लिए चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। वक्फ बोर्ड ने भू-अभिलेख विभाग को पत्र और डाक्यूमेंट्स द्वारा सूचित किया है कि यह पूरा गाँव उसका है। यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति गाँव की जमीन के लिए पंजीकरण कराने आते हैं, उन्हें वक्फ बोर्ड से NOC प्राप्त करनी पड़ेगी।'

राजगोपाल ने जब ग्रामीणों को यह बात बताई, तो पूरा गाँव यह जानकर हैरान रह गया कि जिस भूमि पर वह कई सदियों से रहते आ रहे हैं, वह जमीन अब उनकी नहीं है। ग्रामीणों ने सोचा कि वक्फ बोर्ड पूरे गाँव का मालिक होने का दावा कैसे कर सकता है, जब उनके (ग्रामीणों के) पास आवासीय और कृषि दोनों के लिए उनके पास जमीनों के पूरे कागज़ात मौजूद हैं। इसके बाद, परेशान ग्रामीण इस पूरे मामले को लेकर जब कलेक्टर के पास पहुँचे तो उन्होंने कहा है कि इसकी छानबीन करनी पड़ेगी, उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई हो सकती है।

त्रिची जिले के भाजपा नेता अल्लूर प्रकाश ने कहा है कि, 'त्रिची के निकट तिरुचेंदुरई गाँव, हिंदुओं का एक कृषि क्षेत्र है। वक्फ बोर्ड का तिरुचेंथुरई गांव से क्या ताल्लुक है?' उन्होंने आगे कहा 'इस गाँव में मानेदियावल्ली समीथा चंद्रशेखर स्वामी मंदिर मौजूद है। कई दस्तावेजों और सबूतों के अनुसार, यह मंदिर 1,500 वर्ष प्राचीन है। मंदिर के पास तिरुचेंथुरई गाँव और उसके आसपास 369 एकड़ की संपत्ति है। क्या यह मंदिर संपत्ति भी वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में है? इसका आधार क्या है? वक्फ बोर्ड बगैर किसी बुनियादी सबूत के कैसे घोषणा कर सकता है कि यह भूमि उसकी है। जबकि, गाँव के लोगों के पास जमीन के जरूरी दस्तावेज हैं।' इस पूरे घटनाक्रम में प्रथमदृष्टया तो वक़्फ़ बोर्ड की मनमानी नज़र आती है, हालांकि अब देखना ये होगा राज्य की एमके स्टालिन सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है ? 

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