ताज महल पत्थर का होता

इशारो में होती मोहब्बत अगर

लफ्जो को खूबसूरत कौन कहता

सिर्फ पत्थर का बना रहता ताज महल अगर

इश्क का नाम उसे दिया नहीं जाता

वो मोहब्बत जो हमारे दिल में है

उसे जुबा पर ला कर बया कर दू

आज तुम कहो और कहती रहो

हम बस आपको ही सुने ऐसा बेजुबा कर दो

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