कर्मसाधक स्वामी श्र्द्धानंद

अध्यात्म में देश, समाज और संस्कृति पर बलिदान होना सबसे बडा कर्म माना जाता है। ऐसे ही कर्म साधक थे स्वामी श्रद्धानंद। जिन्होंने सदैव समाज के हित में निस्वार्थभाव से कार्य किया और महान धर्म और कर्म योद्धा कहलाए। स्वामी श्रद्धानंद ने स्वराज्य हासिल करने देश को अंग्रेजों की दासता से छुटकारा दिलाने, दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य किए थे।

सबसे बड़ी बात यह थी कि वह 18वीं शदी में हिं उन्होंदुओं और मुसलमानों के सर्वमान्य नेता थे। स्वामी जी का बचपन का नाम मुंशीराम था। उनका बचपन बिल्कुल साधारण था, लेकिन बरेली में जब महर्षि दयानंद के उपदेश सुने,उसके बाद उनकी जिंदगी बदल गयी । 

 

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