सुप्रीम कोर्ट ने मानी गलती, कि यह टिप्पणी ?

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गलती मानते हुए सोमवार को राज्य में केन्द्रीय शासन लागू करने संबंधी राष्ट्रपति को भेजी गयी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा को जारी नोटिस वापस ले लिया. हालांकि न्यायालय ने अपदस्थ मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के यहां से जब्त कागजात लौटाने के केन्द्र के विरोध को अस्वीकार कर दिया.

जस्टिस जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कोर्ट की कार्यवाही से राज्यपाल को पूरी तरह छूट प्राप्त होने संबंधी पहले के फैसले और कानूनी स्थिति पर विचार करने के बाद कहा, वह नोटिस जारी करना’ हमारी गलती थी’ संविधान पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कानूनी स्थिति का जिक्र करते हुये 2006 शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें व्यवस्था दी गयी थी कि राज्यपालों को कानूनी कार्यवाही में शामिल होने के लिये नहीं कहा जा सकता. रोहतगी की दलील का उल्लेख करते हुये पीठ ने कहा, हम प्रतिवादी संख्या दो (राज्यपाल) को जारी नोटिस वापस लेने के लिये इसे न्यायोचित और उचित समझते हैं.

बता दे की रोहतगी का तर्क था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को पूरी तरह छूट प्राप्त है. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति एन वी रमण शामिल हैं. साथ ही साथ पीठ ने साफ़ किया कि नोटिस वापस लेने का आदेश अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल को इस केस में हमारे सामने अपना पक्ष रखने या दायर करने से रोकेगा नहीं.

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