निजता के अधिकार को लेकर विचार करे सुप्रीम कोर्ट - केंद्र सरकार

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया गया है इस दौरान यह बात सामने आई है कि क्या निजता का अधिकार मूल अधिकार माना जा सकता है। इसे लेकर सरकार की ओर से कहा गया है कि संविधान निजता के अधिकार को महत्व नहीं देता है मगर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फिर से विचार करने के लिए कहा गया है। मामले को लेकर यह बात भी सामने आई है कि निजता के अधिकार को मूल अधिकार के तौर पर परिभाषित किया गया है। यही नहीं आधार योजना पर आपत्तियों को लेकर केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में यह बात कही गई है कि आधार योजना को लागू करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है यही नहीं मामले में कल्याणकारी कार्यक्रम को निरस्त करने के लिए निजता के अधिकार का उपयोग नहीं किए जा सकने की बात भी कही गई है।

इस दौरान यह बात सामने आई है कि आधार योजना पर उठी आपत्तियों को लेकर केंद्र द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में कहा गया है कि आधार योजना को लागू करने के लिए कोई ठोस व्यवस्था उपयोग में लाई जानी चाहिए। यही नहीं कल्याणकारी कार्यक्रम को निरस्त करने के साथ ही निजता के अधिकार का उपयोग नहीं किए जाने और संविधान के तहत किसी तरह के मौलिक अधिकार नहीं दिए जाने की बात पर भी चर्चा की गई।

मामले में यह बात सामने आई है कि निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार में शामिल नहीं किया गया है। इस अधिकार के साथ ही दूसरा अधिकार भी दिया गया है। दरअसल संविधान निर्माताओं की इच्छा निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने की नहीं है। हालांकि मामले को लेकर कहा गया है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार तो नहीं है लेकिन यह एक अन्य प्रकार का अधिकार जरूर है। हालांकि यह भी कहा गया कि मौलिक अधिकार नहीं होने से अनुच्छेद 32 के अंतर्गत दायर याचिकाओं को  रद्द किया जाना चाहिए वहीं निजता के अधिकार को किसी और तरह से देखा जाना चाहिए।

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