सुप्रीम कोर्ट ने HIV पीड़ित महिला को गर्भपात से किया मना

पटना. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि 35 वर्षीय असहाय और एचआईवी पीड़ित महिला के 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात नहीं होगा. कोर्ट ने यह फैसला एम्स के मेडिकल बपर्द की रिपोर्ट की आधार पर सुनाया है. कोर्ट ने बिहार सरकार को रेप विक्टिम फण्ड से चार सप्ताह की अंदर तीन लाख रूपये देने की आदेश दिए है.

साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए है कि बिहार सरकार महिला के इलाज का खर्च उठाएगी और यह इलाज इंदिरा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में किया जाएगा. कोर्ट के अनुसार दिल्ली में मौजूद एम्स एक ट्रीटमेंट ड्राफ्ट बना कर देगा जिससे बच्चे को एचआईवी न होने से बचाने में मदद मिलेगी. सिर्फ इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को देरी के लिए भी मुआवजा देने को कहा है.

इस मामले में अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी जिसका जवाब बिहार सरकार देगी. बता दे कि एम्स के मेडिकल बोर्ड ने कहा था महिला का गर्भपात करने में खतरा है, इतना किया जा सकता है कि बच्चे को एड्स ट्रांसमिट न हो. महिला की ओर से यह भी कहा गया है कि बिहार सरकार की लापरवाही के चलते गर्भ 27 सप्ताह का हो गया.

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